प्रेम विरह गीत
गुजारे साथ थे जो पल भुला न पायेंगे
तड़प तड़प के विरह गीत हम सुनाएंगे
ये चाँद तारे भी खामोशी ओढ़ लेते हैं
पता भी सिर्फ वो तन्हाइयों का देते हैं
न काटे कटती हैं लम्बी जुदाई की रातें
रुलाती याद आ आ के तुम्हारी ही बातें
इसी तरह से ही अब ज़िन्दगी बिताएंगे
तड़प तड़प के विरह गीत हम सुनाएंगे
पवन भी छू के हमें तो बड़ा सताती है
ये दिल के जख्मों को चुपचाप छेड़ जाती है
बरसता जब भी ये सावन अगन बुझाता है
मिलन की आस भी दिल में जरा जगाता है
कभी तो रोयेंगे या यूँ ही मुस्कुरायेंगे
तड़प तड़प के विरह गीत हम सुनाएंगे
तुम्हीं ने धड़कनों से दिल में सुर सजाये थे
तुम्हीं बहार लिये ज़िन्दगी में आये थे
कहानी ये तो हमारी थी सात जन्मों की
मगर थी उम्र ही छोटी तुम्हारी कसमों की
तुम्हारी हर जफ़ा से यूँ वफ़ा निभायेंगे
तड़प तड़प के विरह गीत हम सुनाएंगे
16-06-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद