प्रेम प्यार धन किसे मिलता है !
*प्रेम बरसता है,
प्रेम झलकता है,
प्रेम फैलता है,
प्रेम आनंद है,
प्रेम एक अहसास है,
एक संदेश है,
झलक है उसके होने की,
प्रेम कभी बँटता नहीं,
सबके लिए समान है,
जो लोग तरसते है,
उन्हें मिलता नहीं,
वे वंचित ही रहते है,
क्योंकि वे परिचय चाहते है,
पहचान मिलती नहीं,
वे अस्तित्व खोजते है,
सूक्ष्म है,लघु है,बीज है,
पेड़ में खोजते है,
जीवंत है,
जीव-जीवन में है,
लय है,
निर्जीव में खोजते है,
मिलता नहीं,
तरस जाते है,
भटक जाते है,
आयोजन कर खोजते है,
उन्हें मिलता नहीं,
कह नहीं पाते,
प्रेम प्यार धन पायो रे !
प्रेम प्यार धन पायो रे !
.
डॉ महेन्द्र सिंह खालेटिया,
रेवाड़ी(हरियाणा)