Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jun 2021 · 1 min read

प्रेम रंग

मनहरण घनाक्षरी
****प्रेम – रंग***
***************

डलहीज के शिकारे,
बैठे प्रीत के सितारे।
मदहोश मस्त लीन,
चढ़ी प्रेम भंग है।।

झील दरमियान में,
घिरे नेह के तूफ़ां में।
रसपान को आतुर,
हनीमून रंग है।।

जवानी की उड़ान है,
कामना का उफान है।
अंग है तने हुए से,
जीवंत उमंग है।।

दुनियादारी से परे,
यौवन से भरे भरे।
अजब सा छाया नशा,
मन मे तरंग है।।
****************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

1 Comment · 276 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*राम हमारे मन के अंदर, बसे हुए भगवान हैं (हिंदी गजल)*
*राम हमारे मन के अंदर, बसे हुए भगवान हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
जो संतुष्टि का दास बना, जीवन की संपूर्णता को पायेगा।
जो संतुष्टि का दास बना, जीवन की संपूर्णता को पायेगा।
Manisha Manjari
चाँद और इन्सान
चाँद और इन्सान
Kanchan Khanna
तुम
तुम
Rekha khichi
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रात रात भर रजनी (बंगाल पर गीत)
रात रात भर रजनी (बंगाल पर गीत)
Suryakant Dwivedi
गिलहरी
गिलहरी
Satish Srijan
हुस्न और खूबसूरती से भरे हुए बाजार मिलेंगे
हुस्न और खूबसूरती से भरे हुए बाजार मिलेंगे
शेखर सिंह
आसमान से अब मत पूछो,
आसमान से अब मत पूछो,
Bindesh kumar jha
वृद्धावस्था
वृद्धावस्था
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
दो दिन की जिंदगी है अपना बना ले कोई।
दो दिन की जिंदगी है अपना बना ले कोई।
Phool gufran
"दुबराज"
Dr. Kishan tandon kranti
!! बोलो कौन !!
!! बोलो कौन !!
Chunnu Lal Gupta
#सब_त्रिकालदर्शी
#सब_त्रिकालदर्शी
*प्रणय प्रभात*
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
कौन हूँ मैं ?
कौन हूँ मैं ?
पूनम झा 'प्रथमा'
मंगलमय हो नववर्ष सखे आ रहे अवध में रघुराई।
मंगलमय हो नववर्ष सखे आ रहे अवध में रघुराई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ज़िन्दगी में
ज़िन्दगी में
Santosh Shrivastava
"नफरत"
Yogendra Chaturwedi
आप वो नहीं है जो आप खुद को समझते है बल्कि आप वही जो दुनिया आ
आप वो नहीं है जो आप खुद को समझते है बल्कि आप वही जो दुनिया आ
Rj Anand Prajapati
3220.*पूर्णिका*
3220.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हिंदी से बेहतर कोई जबान नहीं
हिंदी से बेहतर कोई जबान नहीं
Dr Mukesh 'Aseemit'
मुझे तुम अपनी बाँहों में
मुझे तुम अपनी बाँहों में
DrLakshman Jha Parimal
मैं सदा चलता रहूंगा,
मैं सदा चलता रहूंगा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अहसास तेरे होने का
अहसास तेरे होने का
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
एक   राखी   स्वयं के  लिए
एक राखी स्वयं के लिए
Sonam Puneet Dubey
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
Bhupendra Rawat
कलमबाज
कलमबाज
Mangilal 713
अपना चेहरा
अपना चेहरा
Dr fauzia Naseem shad
दुख ही दुख है -
दुख ही दुख है -
पूर्वार्थ
Loading...