प्रेम में राग हो तो
प्रेम में राग हो तो
प्रेम नर्क बन जायेगा !
प्रेम में आसक्ति हो
प्रेम पिंजरा बन जाएगा
प्रेम में दोनों ही सम्भावनाएँ हैं !
प्रेम के साथ कामना
और आसक्ति जुड़ जाए
तो जैसे, प्रेम पक्षी के
गले में पत्थर बाँध दिये,
अब वह उड़ न सकेगा
प्रेम के पक्षी को जैसे
स्वर्ण पिंजड़े में बन्द कर दिया
पिंजड़ा कितना ही बहुमूल्य हो,
हीरे-जवाहरात जड़े हों,
तो भी पिंजड़ा पिंजड़ा ही है—
प्रेम को नष्ट कर देगा
प्रेम एक अनुभूति है
प्रेम संगीत के राग सा है
जितना उन्मुक्त,
उतना ही पल्लवित होता है
हिमांशु Kulshrestha