प्रेम मिलन
तुम आओ मेरे द्वारे या द्वार तुम्हारे हम आएं।
मेरी तुझ पर तेरी मुझ पर एकटक नज़रें जम जाएं।
लब मुस्काएँ आँखें बोलें मगर जुबाँ खामोश रहें
प्रेम मिलन के इस मंजर पर वक़्त के पहिये थम जाएं।
संजय नारायण
तुम आओ मेरे द्वारे या द्वार तुम्हारे हम आएं।
मेरी तुझ पर तेरी मुझ पर एकटक नज़रें जम जाएं।
लब मुस्काएँ आँखें बोलें मगर जुबाँ खामोश रहें
प्रेम मिलन के इस मंजर पर वक़्त के पहिये थम जाएं।
संजय नारायण