प्रेम भावना
बजाकर हाँथों की चूड़ी अब हृदय से रूबरू हो गया कोई।
ह्रदय के इस कोने कोने में बेला जेसा महँका गया कोई।
अभी तक ह्रदय की तप्ती जमी पर प्रेम की एक बूँद न वर्षी
उसी बजंर ह्रदय पर प्रेम की कुछ बूँदें मधुर बरसा गया कोई।
***धीरेन्द्र***
बजाकर हाँथों की चूड़ी अब हृदय से रूबरू हो गया कोई।
ह्रदय के इस कोने कोने में बेला जेसा महँका गया कोई।
अभी तक ह्रदय की तप्ती जमी पर प्रेम की एक बूँद न वर्षी
उसी बजंर ह्रदय पर प्रेम की कुछ बूँदें मधुर बरसा गया कोई।
***धीरेन्द्र***