#रुबाइयाँ//प्रेम भरे नयनों से देखो
प्रेम भरे नयनों से देखो , अंतर्मन खिल पाएगा।
विष-भाव बदल प्रेम-सुधा में , सुरभित हृदय बनाएगा।
कोमल भावों की रसधारा , रोम-रोम में दौड़ेगी;
पीयूष-स्रोत अधरों का रस , श्वासों में घुल जाएगा।
कोकिल-वाणी खींच रही मन , बेसुध-सा हो जाएगा।
अरुण-कपोलों के पुष्षों का , क्या मकरंद भुलाएगा?
चिर स्थायी प्रिय का आलिंगन , तन-रंध्रों में प्यार भरे;
रक्त बना ये वाहिनियों में , अनवरत बहे जाएगा।
(C)-आर.एस.’प्रीतम’