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29 Jul 2024 · 1 min read

*प्रेम बूँद से जियरा भरता*

प्रेम बूँद से जियरा भरता
*********************

बूँद – बूँद से सागर भरता,
लह -लहर लहराता मनवा।

प्यास प्रीत की बढ़ती जाए,
प्रेम बूँद से जियरा भरता।

सोच सोचकर दिल भी हारा,
झूठ मूठ का सौदा चलता।

चाल ढाल भी बदली-बदली,
रंग-ढंग भी तन -मन चढ़ता।

हार मान ली हम हैँ हारे,
बात-बात पर पहरा उनका।

ध्यान ज्ञान छाया मनसीरत,
भाव प्यार का सूरज चढ़ता।
**********************
सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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