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17 Apr 2020 · 3 min read

प्रेम प्रतीक्षा भाग 6

प्रेम-प्रतीक्षा
भाग-7
विदाई पार्टी समाप्त हो चुकी थी।सुखजीत के मधुर गीत ने अपना काम कर दिया था,जिसका प्रभाव अंजली के मुख मंडल पर देखा जा सकता था।उस रात अंजली को नींद नहीं आई थी,बिस्तर पर करवटें बदल बदल बिस्तर पर बिछी चादर को कई तहों में इकट्ठा कर दिया था,जो कि उसकी बैचेनी को प्रदर्शित करती थी।बदलते मौसम की तरह उसके शिला से कठोर हृदय में परिवर्तन हो चुका था और शायद सुखजीत के प्रति उसके मन की भावनाएं जागृत हो चुकी थी।
अगली सुबह जब वह विद्यालय पहुंची तो वह थोड़ी मायूस और बैचैन लग रही थी और उसकी सूजी हुई आँखें यह बता रही थी,जैसे वह रात भर सोई ना हो और बिस्तर पर तकिए से आलिंगनबद्ध हो कर बिखल बिखल कर रो कर रात गुजारी हो।
विजया ने जब इन हालातों बारे अंजली से पूछा तो उसकी आँखे भावमयी हो कर नम हो गई और उसने विजया को बताया कि उसने उस दिन सुखजीत के साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया था और अब वह उस बात के लिए शर्मिंदा थी और अब वह अपनी गलती का एहसास करना चाहती थी और सुखजीत को इस.संदर्भ में सॉरी कहना चाहती थी।
विजया को सारा मामला समझ आ गया था।आधी छुट्टी के समय जब सारे बच्चे कक्षा के बाहर खेलने कूदने चले गए तो मौका देखकर विजया ने सुखजीत को बुला लिया और कहा कि विजया आपसे कुछ कहना चाहती थी।
देखो परिस्थितियां कितनी जल्दी रंग बदलती हैं और अपने नित्य बदलते रंगों में इंसान को उलझा कर जकड़ लेती हैं।सुखजी विजया के बुलाने पर आ गया और शजर नीचे किए मौन सा खड़ा हो गया जैसे मुंह में जुबान ही ना हो।
अंजली ने बोलना शुरू किया और सोरी कहते हुए कहा कि वह अपने उस दिंन के व्यवहार के लिए शर्मिंदा थी और कहा कि वह भी उसके लिए आकर्षित थी ,लेकिन समाज,विद्यालय और घरवालों.के भय से वह अपने मन.के अंदर पनप रही भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाई औ झुठलाते हुए उसे भी भला बुरा कहा।
.सुखजी चुपचाप सुन रहा था और अंजली भावुक होकर नम आँखों के साथ कहे जा रही थी और अंत में उसने निज भावनाओं को कबूलता हुए कहा कि वह भी उसको प्यार करती थीं ,लेकिन उसे तो प्रेम की परिभाषा ही नहीं पता,पर वह उससमय सच्चा प्यार करती थु और साथ ही उसे यह कहते हुए चेताया कि वह प्रेम को सार्वजनिक ना करे।
उस पगली को तो यह भी नही पता कि प्रेम और अग्नि की लपटें भी कभी मौन रहीं हैं।ईश्क और मुश्क तो छिपाए नहीं छुपते और फैलने हेतु ह्वयं स्वत ही राहें खोज लेती हैं।
सुखजीत अंजली द्वारा चसके प्रेम प्रस्ताव को मंजूर दिए जाने पर बहुत खुश था और प्रेम की भावनाओं में भह कर भारी दिल को हल्का करने के लिए रोने लग गया,जिसे अंजली ने मुश्किल से चुफ करवाया।सुखजीत ने कहा कि जीवन पर्यन्त वह.उसे सच्चा प्यार करता रहेगा और जीवन में किसी मोड़ पर चाहे कुछ भी हो जाए .हर सम विषम परिस्थिति में उसका साथ नहीं छोड़ेगा।
आधी छुट्टी समाप्त हो गई थी।कक्षा के बच्चे कक्षा में आने शुरू हो गए थे।तीनों ने भी कक्षा मे अपनी अपनी जगह ले ली थी और उस दिन सुखजीत और अंजली बहुत ज्यादा खुश थे।

कहानी जारी…..।
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
401 Views
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