प्रेम पीड़ा
प्रेम वेदना क्या होती है प्रेम करके स्वंय देख लो।
कष्ट किसी को भी हो सहन दोनों को पड़ता है।
मीरा कृष्ण के प्यार को सुना और पढ़ा होगा।
प्रेममें मीराको जहर पीना पड़ा था और वेदना कृष्ण को हुआ था ।।
नींद तो मुझे भी कहाँ आती है आज कल।
न दिन में न रात में जब से प्रेम हुआ है।
कभी राधा तो कभी मीरा के रूप में तुम्हे देखता हूँ।
और प्रेम लीलाओं का आंनद खुली आँखों से देखता हूँ ।।
अब तो चांद भी शर्मा जाता है तुम्हें देखकर।
जो तुमने ये यौवन रूप कामदेव जैसा पाया है।
जिसकी छाया आंखों के सामने पल पल झूमती है।
और प्रेम प्रसंगों की यादे हमे दिलाकर तड़पती है ।।
ये प्रेम लीलाओं का सपना कही टूट न जाये।
और हमारी नींद कही खुल न जाये।
और जन्नत आनंद हमसे देखना छूट न जाये।
और उनके साथ रहने का अरमान अधूरा न राह जाए ।।