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21 Oct 2020 · 1 min read

अमर प्रेम

जमीन और आसमान
खामोश गवाह है
उस शुरुआत का
जिसकी एक कड़ी
तुम भी थे
और मैं भी हूँ ।

कुछ किस्से इनसे
पूछ कर देखो
कुछ किस्से इनसे
सुनकर देखो
उस समय से
जिसकी कठपुतली
तुम भी थे
और मैं भी हूँ ।

पूछो इस हवा से
और मौसम से
जिसमें उड़ता हुआ
एक तिनका
मैं भी हूँ
और तुम भी थे ।

हम मिले थे
हम मिलेंगे
खुशबु और फूल की तरह
जल और बूँद की तरह
कण और धुल की तरह

क्योकि
इस नियति की
एक पहेली मैं भी हूँ
और तुम भी हो……..

Language: Hindi
194 Views
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