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7 Nov 2021 · 1 min read

//…प्रेम-निवेदन…//

//…प्रेम-निवेदन…//

दिल में लगी है ,
आग मेरे
तुम सावन ,
बन जाओ ना…!

तन प्यासा है ,
है मन प्यासा
तुम प्रेम सुधा ,
बरसाओ ना…!

मंजिल से ,
मैं दूर खड़ा
क्यों लगता है ,
मुझको ऐसा…?

मैं उलझा हूं ,
पर्वत से ?
तुम रास्ता ,
बन जाओ ना…!

टूटी हैं क्यों ,
कलियां सारी
खुशबू भी है ,
खोई सी…!

पतझड़ है यह ,
दिल का गुलशन
तुम इसे ,
महकाओ ना…!

रात हुई पर ,
चांद ना निकला
सुबह का सूरज
किसने है देखा…!

अंधियारा है ,
जीवन में मेरे
तुम उजियारा
बन जाओ ना…!

चिन्ता नेताम ” मन ”
डोंगरगांव ( छत्तीसगढ़ )

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 248 Views
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