प्रेम नहीं प्यार नहीं ___घनाक्षरी
कल _ कल बहते थे नदी नाले सारे यहां ।
आज कल नालियों में पानी नहीं बहता।।
दादी नानी की कहानी सीख दिया करती थी ।
ऐसी अब कोई तो कहानी नहीं कहता।।
जो भी जिसने था मांगा दे दिया दान वीर ने ।
कर्ण जैसा अब महादानी नहीं रहता।
प्रेम नहीं प्यार नहीं अब व त्यौहार नहीं ।
एक दूजे के विचार प्राणी नहीं सहता।।
राजेश व्यास अनुनय