प्रेम डगर पे चलने वाले
प्रेम डगर पे चलने वाले
डगर नही इतना सरल,
जो डूबे इस दरिया में,
किनारे इसके है विरल,
खुदी को भूल जाते है,
पीना पङता हर क्षण गरल,
संवेदना का है वो शिखर,
जहाँ हृदय बस हो जाता तरल,
शून्य की पराकाष्ठा है,
एक तत्त्व हो जाते सकल।
……………पूनम कुमारी