प्रेम जीवनाधार
प्रेम कहानी बनता है
प्रेम परमात्मा का द्वार.
प्रेम इक परम उपहार.
प्रेम फितरत से निपजे,
जाने कोई जाननहार.
प्रेम होता है
यह आयोजन से बाहर.
प्रकृति अंतस की
होती अलंकृत बाहर.
जाना नहीं माना है.
मन्यते एक अनेक.
आक्रमण नहीं ये
समर्पण सदाबहार,
सोचे आज विचार.
दो छोर पर करे गमन
इस पार या उस पार.
प्रेम ही परमात्मा
प्रियतम जीवन आधार.
पाप पुण्य से मुक्त है.
स्वाच्छित उड़े चित्ताकाश.
प्रेम खुद एक किस्सा है
पढे पढाये सुनो सुनाये आज