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16 Nov 2018 · 1 min read

प्रेम जाल में फसा के मुजको….

प्रेम किया था तुझसे जो….
तू अनपढ सा मचल गई
नैन मटका किया जो तुझसे….
आखिर तुजको भाया न

प्रेम जाल में फसा के मुजको….
अंधेरी रातों में छोड गई
जबसे देखा है तुमको….
नींद न आती रातो में

तुम न जाने कैसे भूल गई…
वो राते – राते की बाते
मै तो भूल न पाया तुमको….
न ही वो अंधेरी राते

जितना तुमको प्यार किया….
अब मेरे बस की बात नहीं
कलम उठा ली है लिखने को….
लिखता हूं बस तेरी बाते…

लेखक – कुंवर नितीश सिंह (गाजीपुर)

Language: Hindi
1 Like · 261 Views
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