प्रेम चेतना सूक्ष्म की,
प्रेम चेतना सूक्ष्म की,
प्रेम प्रखर आलोक ।
प्रेम पृष्ठ है स्वप्न का,
प्रेम न बदले मोक । ।
( मोक = केंचुल )
सुशील सरना / 25-8-24
प्रेम चेतना सूक्ष्म की,
प्रेम प्रखर आलोक ।
प्रेम पृष्ठ है स्वप्न का,
प्रेम न बदले मोक । ।
( मोक = केंचुल )
सुशील सरना / 25-8-24