प्रेम गीत
स्वप्न थे प्यार के, रात भी प्यार की ।
प्रश्न थे प्यार के, बात भी प्यार की,
उन जवाबों को ऐसे बताया हमें,
है लगा ये मुलाकात भी प्यार की।।
आप जबसे मेरे पास आने लगे।
प्यार के गीत तब रास आने लगे
गम भरे मेरे मौसम थे रहते सदा,
आप हैं तो ये मधुमास आने लगे।।
रोज की ही तरह आज दावा यही।
प्रेम में ये छलावा नहीं है सही ।
तुम सुनों ध्यान से,मैं तुम्हें कह रहा,
मैं तुम्हारे अलावा किसी का नहीं ।
फूल भँवरे प्रणय राग गाने लगे।
वो हमें याद जबसे हैं आने लगे।
हम तो सर्दी में बैठे ठिठुरते मगर,
प्रेम की चासनी में नहाने लगे।।
तोड़ के सब नियम,अपनाया तुम्हें।
कुछ न बाकी रहा ,जबसे पाया तुम्हें।
होगए हम क्यों ,मशहूर बस इसलिए,
है तुम पर लिखा और गाया तुम्हे।
सात रंगों में तुम, सात सरगम तुम्हीं।
जख्म भी हो तुम्हीं और मरहम तुम्हीं,
और कैसे बताए कि हो कौन तुम,
देखता हूँ जिसे मैं वो हरदम तुम्हीं।।
है रखा मैने दिल में जिसे है सनम
बात कहनी वो तुमसे मुझे है सनम,
सब समर्पित करूं उससे पहले सुनो,
प्रेम का फूल अर्पित तुझे है सनम
हरीश पटेल “हर”
ग्राम ;- तोरन (थान खम्हरिया)
बेमेतरा