प्रेम गीत
#गीत_ओ_मनभावनी_रे
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#ओ_मेरी_रागिनी
#ओ_मनभावनी_रे
चाँदनी का वसन
कुमुदनी सी लहक
चंपा की महक
माँग में सजी तारों की छावनी रे
ओ मेरी रागिनी
ओ मनभावनी रे
पवन का झोंका कोई
लाया संदेशा कोई
हृदय आह्लाद जैसे मेला कोई
प्रेम की कोष कोख़ में वाहिनी रे
ओ मेरी रागिनी
ओ मनभावनी रे
मृदु उर्मियों में बह के
कुछ नवीन मधुर बन के
गुनगुन मन चिड़ियों सी चहके
पदचाप धरती पे जैसे मल्हारिनी रे
ओ मेरी रागिनी
ओ मनभावनी रे
बरसने दे मेघ मल्हार
बुझने दे सब अंगार
बदन पर जो हैं भार
नाचे घटा में बन के मोरनी रे
ओ मेरी रागिनी
ओ मनभावनी रे ।।
©बिमल तिवारी “आत्मबोध”
देवरिया उत्तर प्रदेश
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