प्रेम गीत
भोली सूरत अधर गुलाबी, दृग में काजल सार लिखूँ।
तेरे यौवन पर दिल करता, बार-बार श्रंगार लिखूँ।
चंचल चितवन रूप देखकर
चाँद भी लज्जित हो जाये।
जो भी डाले एक नजर उस
को दीवाना कर जाये।
रूपवती रसवंती तेरी, गीतों में मनुहार लिखूँ।
श्याम लटें गालों पर तेरे
नागिन सी मणि चूम रही।
अधरों पर मुस्कान लगे
कलियाँ गुलाब की फूल रहीं।
नीली आंखों वाली तुमको, एक कली कचनार लिखूँ।
तेरे यौवन पर दिल करता, बार-बार श्रंगार लिखूँ।
तेरी मीठी बातों में सब
बने प्रेम के रोगी हैं।
तू जन्नत की हूरपरी तो
हम भी रमता जोगी हैं।
तुम हो पुष्प चमेली के मैं खुद को केवल खार लिखूँ।
अभिनव मिश्र अदम्य