प्रेम गीत
छेड़ो सजन प्रेम गीत, या कोई तराना
गाए जो मिलकर, सारा जमाना
प्रेम प्रीत भरकर, रंगोली सजाओ
कई रंग देकर भी, एक रंग लाओ
सबका हो ताल एक, एक स्वर में गाना
बजे चाहे वाद्य कई, धुन एक ही बजाना
छेड़ो सजन प्रेम गीत, या कोई तराना
सबकी वंशी सबका स्वर हो, सबका ही हो गान
लेकिन साथी, साथ समय के,
सबको हो सब की पहचान
साथी पथ में कष्ट कई, ना डरना और डराना
छेड़ो सजन प्रेम गीत, या कोई तराना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी