Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Aug 2024 · 1 min read

प्रेम को जिसने

प्रेम का मर्म उसने ही तो समझा है,
प्रेम को जिसने प्रेम समझा है ।
डॉ फ़ौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: शेर
2 Likes · 22 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all
You may also like:
मुझसे जुदा होके तू कब चैन से सोया होगा ।
मुझसे जुदा होके तू कब चैन से सोया होगा ।
Phool gufran
छा जाओ आसमान की तरह मुझ पर
छा जाओ आसमान की तरह मुझ पर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
आहत हो कर बापू बोले
आहत हो कर बापू बोले
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कहानी -
कहानी - "सच्चा भक्त"
Dr Tabassum Jahan
मां शैलपुत्री
मां शैलपुत्री
Mukesh Kumar Sonkar
रिश्ते भूल गये
रिश्ते भूल गये
पूर्वार्थ
मैं तो ईमान की तरह मरा हूं कई दफा ,
मैं तो ईमान की तरह मरा हूं कई दफा ,
Manju sagar
* पावन धरा *
* पावन धरा *
surenderpal vaidya
हारता वो है
हारता वो है
नेताम आर सी
टूटी हुई उम्मीद की सदाकत बोल देती है.....
टूटी हुई उम्मीद की सदाकत बोल देती है.....
कवि दीपक बवेजा
कविता: एक राखी मुझे भेज दो, रक्षाबंधन आने वाला है।
कविता: एक राखी मुझे भेज दो, रक्षाबंधन आने वाला है।
Rajesh Kumar Arjun
सब्र का बांँध यदि टूट गया
सब्र का बांँध यदि टूट गया
Buddha Prakash
बिटिया !
बिटिया !
Sangeeta Beniwal
3481🌷 *पूर्णिका* 🌷
3481🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
सत्य कड़वा नहीं होता अपितु
सत्य कड़वा नहीं होता अपितु
Gouri tiwari
उसकी सूरत में उलझे हैं नैना मेरे।
उसकी सूरत में उलझे हैं नैना मेरे।
Madhuri mahakash
*निर्धनता में जी लेना पर, अपने चरित्र को मत खोना (राधेश्यामी
*निर्धनता में जी लेना पर, अपने चरित्र को मत खोना (राधेश्यामी
Ravi Prakash
छठ पूजा
छठ पूजा
Satish Srijan
कहाॅ॑ है नूर
कहाॅ॑ है नूर
VINOD CHAUHAN
ज़िंदगी कभी बहार तो कभी ख़ार लगती है……परवेज़
ज़िंदगी कभी बहार तो कभी ख़ार लगती है……परवेज़
parvez khan
संघर्ष का अर्थ ये नही है कि
संघर्ष का अर्थ ये नही है कि
P S Dhami
जिंदगी छोटी बहुत,घटती हर दिन रोज है
जिंदगी छोटी बहुत,घटती हर दिन रोज है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"रियायत के रंग"
Dr. Kishan tandon kranti
धुंध इतनी की खुद के
धुंध इतनी की खुद के
Atul "Krishn"
गम
गम
इंजी. संजय श्रीवास्तव
ताई आले कावड ल्यावां-डाक कावड़िया
ताई आले कावड ल्यावां-डाक कावड़िया
अरविंद भारद्वाज
इस कदर आज के ज़माने में बढ़ गई है ये महगाई।
इस कदर आज के ज़माने में बढ़ गई है ये महगाई।
शेखर सिंह
Lines of day
Lines of day
Sampada
जो ले जाये उस पार दिल में ऐसी तमन्ना न रख
जो ले जाये उस पार दिल में ऐसी तमन्ना न रख
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
Loading...