प्रेम के दरिया का पानी चिट्ठियाँ
प्रेम के दरिया का पानी चिट्ठियाँ
भावनाओं की ज़ुबानी चिट्ठियाँ
जो कभी भी लौट कर आता नहीं
उस समय की हैं कहानी चिट्ठियाँ
दौर बदला आ गया युग नेट का
अब नहीं हैं मन की रानी चिट्ठियाँ
खुशबुएँ इनमें हैं पहले प्यार की
हैं तभी रक्खीं पुरानी चिट्ठियाँ
वैसे तो कागज़ का इक टुकड़ा हैं ये
होती फिर भी हैं न फ़ानी चिट्ठियाँ
सहला जातीं हैं हमारे मन को ये
हैं हवा जैसी सुहानी चिट्ठियाँ
ये जगा देती हैं मन की प्यास फिर
आँसुओं की है रवानी चिट्ठियाँ
राज़ इनमें हैं हमारे आपके
इसलिए पड़तीं छुपानी चिट्ठियाँ
‘अर्चना’ यादों को मथती हैं यही
वक़्त की होतीं मथानी चिट्ठियाँ
डॉ अर्चना गुप्ता