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11 Jun 2023 · 1 min read

प्रेम के चिराग

सुन्‍दर रूप प्रेम अनुराग से हर लिया मेरा मन है
बदला मौसम खिल गये नैना हुआ उनका आगमन है
चंचल करती उसकी मधुर बोली हूँ सुनने को आतुर
दूर भला में कैसे जाऊँ लगता उनमे अब अपनापन है
दुर्बल होता ही जाये ये मन उनके विराग में
रात दिन जलता ही जाये मन प्रेम के चिराग में
अन्‍धकार की पीड़ा ना सह पाऊँ है चांदनी रात
प्रतिक्षा मे तेरी मुरझा गये फूल प्रेम के बाग में
अभिषेक शर्मा

Language: Hindi
64 Views
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