प्रेम के खत
प्रेम के खत न मैं लिख सकूंगा सनम
मेरी उल्फत का अहसास कर लो सनम।
खत लिखूँगा तो भीगेगा कागज़ का तन
प्रेम से हो सराबोर उसका भी मन
चुपके चुपके से ना देख ले ये गगन
खत लिखूँगा तो जानेंगे कागज कलम
प्रेम के खत न मैं लिख सकूंगा सनम
मेरी उल्फत का अहसास कर लो सनम।
प्रेम अपना अमर होगा जन्मों जनम
एक खत से न रह जाये बन ये रसम
दूर से प्यार से तुम पुकारो सनम
क्यों लिखूंगा मैं खत ये विचारो सनम।
प्रेम के खत न मैं लिख सकूंगा सनम
मेरी उल्फत का अहसास कर लो सनम।
खत भ्रमर ने लिखा गीत गुंजन बना
पुष्प है अनमना कर न सकता मना
पर अभी लेगा वो प्यार से मनठना
लिख गया खत जो मैंने पुकारा सनम।
प्रेम के खत न मैं लिख सकूंगा सनम
मेरी उल्फत का अहसास कर लो सनम।
खत तुम्हारे हृदय में बसी एक खलिश
खत वो अहसास जिसमें तुम्हारी कशिश
खत नदी ने लिखे जा समुन्दर मिली
आ चली आ मैं भी संग चलूंगा सनम।
प्रेम के खत न मैं लिख सकूंगा सनम
मेरी उल्फत का अहसास कर लो सनम।
दिल को अहसास की मृदु चुभन से भरूँ
क्यों मैं लिख अपनी उल्फत को रुसवा करूं
आज तय कर लिया अब यही मैं करूँ
प्रीत पावन मैं पावन रखूंगा सनम।
प्रेम के खत न मैं लिख सकूंगा सनम
मेरी उल्फत का अहसास कर लो सनम।
अब ये कुछ खत मोहब्बत के क्यों मैं लिखूं
इनसे बुझती नहीं प्रेम की प्यास है
प्यार अहसास है तू मेरे पास है
क्यों न बाहों में तुझको मैं भर लूं सनम।
प्रेम के खत न मैं लिख सकूंगा सनम
मेरी उल्फत का अहसास कर लो सनम।
अनुराग दीक्षित