प्रेम के इंतज़ार में
जब कोई प्रेम में पड़ा मन
भूल जाता है प्रेम करना
जज्बातों पे लगा देता है
मूक का एक ताला
प्रेम की तलाश करता एक हृदय
जब थक जाता है
तो रुक जाता है
पेड़ो पर नए पत्तों का निकलना
ज़िंदगी से खत्म हो जाती है
जीवन का कोई गीत
हवाएं किसी की चुनरी को उड़ा नहीं पाती
कवि कोई कविता लिख नहीं पाता
और न ही कोई मूर्ति जीवंत प्रतीत होती है
कितना कुछ खत्म हो जाता है आखिर
जब कोई प्रेमी हृदय छला जाता है
और व्याकुलता में हत्या कर देता है स्वयं की
सिर्फ सूखे पेड़ बचे रह जाते है
प्रेम की फुहार के इंतज़ार में