Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2021 · 1 min read

प्रेम की परिभाषा

प्रेम की है अद्भुत परिभाषा
जितने रिश्ते उतनी आशा
प्रियतमा जब प्यार करती है
बंद आंखों में आह भरती है
मित्र का प्रेम अलग दिखता है
खुली आंख स्नेह लिखता है
पत्नी की तो प्रीत निराली
आंख दिखा करती रखवाली
मां का प्रेम अनुपम उपहार
बंद आंखों तक करती प्यार
पिता प्रेम दिल में ही धरता
कभी आंख से व्यक्त न करता

अशोक सोनी
भिलाई ।

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 501 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
3837.💐 *पूर्णिका* 💐
3837.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
* गीत प्यारा गुनगुनायें *
* गीत प्यारा गुनगुनायें *
surenderpal vaidya
बदनसीब डायरी
बदनसीब डायरी
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िंदगी के फ़लसफ़े
ज़िंदगी के फ़लसफ़े
Shyam Sundar Subramanian
तक़दीर शून्य का जखीरा है
तक़दीर शून्य का जखीरा है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कर्म -पथ से ना डिगे वह आर्य है।
कर्म -पथ से ना डिगे वह आर्य है।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
अपना अपना कर्म
अपना अपना कर्म
Mangilal 713
हर पल तेरी याद
हर पल तेरी याद
Surinder blackpen
माँ ऐसा वर ढूंँढना
माँ ऐसा वर ढूंँढना
Pratibha Pandey
उठ जाग मेरे मानस
उठ जाग मेरे मानस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*नशा तेरे प्यार का है छाया अब तक*
*नशा तेरे प्यार का है छाया अब तक*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पहचान ही क्या
पहचान ही क्या
Swami Ganganiya
कोशिशों की न पूछ कुछ हमसे,
कोशिशों की न पूछ कुछ हमसे,
Dr fauzia Naseem shad
R
R
*प्रणय*
*ओले (बाल कविता)*
*ओले (बाल कविता)*
Ravi Prakash
# 𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
# 𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
DrLakshman Jha Parimal
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की माँ विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
बचपन से जिनकी आवाज सुनकर बड़े हुए
बचपन से जिनकी आवाज सुनकर बड़े हुए
ओनिका सेतिया 'अनु '
संस्कार
संस्कार
Rituraj shivem verma
*विश्वकप की जीत - भावनाओं की जीत*
*विश्वकप की जीत - भावनाओं की जीत*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
"गलतफहमियाँ"
जगदीश शर्मा सहज
राह मुश्किल हो चाहे आसां हो
राह मुश्किल हो चाहे आसां हो
Shweta Soni
अब मै ख़ुद से खफा रहने लगा हूँ
अब मै ख़ुद से खफा रहने लगा हूँ
Bhupendra Rawat
लड़कियां शिक्षा के मामले में लडको से आगे निकल रही है क्योंकि
लड़कियां शिक्षा के मामले में लडको से आगे निकल रही है क्योंकि
Rj Anand Prajapati
* तुगलकी फरमान*
* तुगलकी फरमान*
Dushyant Kumar
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
Piyush Goel
आदमी के हालात कहां किसी के बस में होते हैं ।
आदमी के हालात कहां किसी के बस में होते हैं ।
sushil sarna
पद्मावती छंद
पद्मावती छंद
Subhash Singhai
Loading...