प्रेम की परिभाषा
प्रेम की है अद्भुत परिभाषा
जितने रिश्ते उतनी आशा
प्रियतमा जब प्यार करती है
बंद आंखों में आह भरती है
मित्र का प्रेम अलग दिखता है
खुली आंख स्नेह लिखता है
पत्नी की तो प्रीत निराली
आंख दिखा करती रखवाली
मां का प्रेम अनुपम उपहार
बंद आंखों तक करती प्यार
पिता प्रेम दिल में ही धरता
कभी आंख से व्यक्त न करता
अशोक सोनी
भिलाई ।