प्रेम की नाव
प्रेम की नाव पे होके सवार जीवन के समुद्र में चल दिये,
किनारे से जब छूटी नाव जीवन के समुद्र में चल दिये,
डगमग करती नाव हमारी बीच भँवर में लाके हमें,
नाव सम्भाले पतवार बनके जीवन के समुद्र में चल दिये,
कभी तेज़ उफान में कभी धीरे की रफ़्तार में चलने लगी,
जीवन की यह नाव पुरानी जीवन के समुद्र में चल दिये,
नाव चली तो बिछुड़ गये सब जो मेरे संगी साथी थे,
सब छूटे हम बैठ के नाव पे जीवन के समुद्र में चल दिये,
छूट गये सब सगे सम्बन्धी बेबस निगाहे देख रही,
जर्जर काया लेके नाव में जीवन के समुद्र में चल दिये,
देख रहे परिजन सब अपने नाव के कील में जंग लगा,
टूटी कीलें नाव में बैठ के जीवन के समुद्र में चल दिये,