प्रेम की दास्तां
देख प्रेम का अनुपम रूप अमृतमय सब हो जाते हैं |
प्रेम रस का पान कर प्रेम से भर जाते हैं |
प्रेम तो निःशब्द है जिसकी कोई भाषा नहीं |
प्रेम तो मन का भाव है जिसकी कोई परिभाषा नहीं |
प्रेम तो पूर्ण और प्रबल है जिसकी कोई सीमा नहीं |
प्रेम तो अनंत और अथाह है जिसका कोई अंत नहीं |
प्रेम तो संयोग में दो हृदयों को एकाकार करता है |
प्रेम में लिपटा मन तो सावन बनकर सजता है |
प्रेम में जो हो वियोग तो नैनो से नीर बहता है |
विरह में लिपटा मन तो वेदना की टीस भरता है |
प्रेण तो है त्याग की मूरत जो समर्पण से लिप्त है |
प्रेम तो अश्को से भरी करुणा की बदरी है |
प्रेम का रिश्ता है अनमोल जो अटूट डोर से बंधा है |
प्रेम नाम आते ही राधा-कान्हा का नाम जुबां पर होता है |
प्रेम मात्र अनुभव करना नहीं यह तो जीने की राह है |
प्रेम ही जीवन की कालिमा को उजियाली से भरता है |