प्रेम की कविताएं ।
प्रेम पर लिखें गए कविताएं
तब तक जीवित है जबतक
हमारी आत्मा इस संसार में है ।
क्या किसी ने सोचा है कि
सबसे पहले प्रेम किया किसने
किसने इससे अवगत कराया ।
समाज इस पथ पर अग्रसर है
की प्रेम में निर्लज्जता की मात्रा
दिन व दिन बढ़ती ही जा रही है
और एक आधा तबका इस
बहुरूपी प्रेम के जंजाल में फंस चुका है ।
क्या किसी ने सोचा है कि वो
आख़िरी व्यक्ति कौन होगा
जिसने प्रेम को उस सदी तक
पहुचाने की कोशिश करेगा ।
अलग अलग शर्तों के साथ ।
शर्तिया प्रेम बड़ा विकराल होता है
मनुष्य ख़ुद को असहाय महसूस करता है
जबकि प्रेम से उसकी ये अपेक्षा है जिसमें
मनुष्य ख़ुद को आज़ाद रहना चाहता है ।
– हसीब अनवर