प्रेम की अनुभूति
मेरा चेहरा हाथ में ले जब कहते हो न….
कि चाँद हूँ मैं
तो जी चाहता है कह दूँ
चाँद मैं नहीं तुम हों और..
और मैं तुम्हारी चाँदनी
जो तुमसे ही रौशन है।
मुझे बाहों में ले जब कहते हो न ..
कि खुशनसीब हो तुम जो मुझे पाये हो..
तो जी चाहता है कह दूँ
तुम्हें हर दुआओं में मैने माँगा हैं।
मेरी जुल्फें जब तुम्हारी कुरते की बटन में
उलझती है , और कहते हो न कि ….
बटन को भी तुमसे प्यार है….
तो जी चाहता है कह दूँ
जुल्फें खोलने की साजिश भी तो मैनें रची है।
ऐसी ही बहुत सी बातें है तुमसे कहने की,
नन्हें नन्हें शब्दों में पिरोकर
प्रेम के धरातल में बिखेरने की।
तुम्हारी बाँहो में आके लगता है
लिपटी हूँ पशमीने में।
मेरे अस्तित्व की रमणीयता
अब तुम्हारे साथ है जीने में।
मेरे सम्रग जीवन का सौंदर्य है तुमसे
तुम्हें पाके लगा सबकुछ मिल गया रब से।।
-रंजना वर्मा