प्रेम…….किस्तों में
कभी किया दीदार था हमने
आज सुबह इजहार हुआ |
बीत गये बरसों बरस
हमने किस्तों में प्यार किया ||
पहली किस्त की बारी आई
बीच सड़क वो आ टकराई |
हमने पूछा, कैसी हो तुम ?
तो बात-बात पे की लड़ाई ||
दूजी किस्त में प्यार बढ़ा जब
गली-गली ये बात चली |
प्यार-मोहब्बत की बातों से
दुनिया क्यों दिन रात जली ||
तीजी किस्त ने किया धमाका
धमाका था बड़ा निराला |
ऊंगली कांट के खून निकाला
खून से चिट्ठी लिख डाला ||
अभी-अभी ये चिट्ठी आई
उसने दिल की बात बताई |
चिट्ठी में कुछ यूँ लिखा है
अब की बार हो गई सगाई ||
अब तो मैं ये दुआ करूंगा
सुखमय हो उसकी जिंदगानी |
अमर रहे हम दोनों के
किस्तों की ये प्रेम कहानी ||
*************************************
राजेश बन्छोर “राज”
हथखोज (भिलाई), छत्तीसगढ़, 490024