प्रेम का सृजन
कभी हम साथ होगें..
कल्पनाओं के सघन वन में…
कभी बेबाक यादें
जी रही होंगी तेरे घर में..
मुझे पुचकार लेना
गर कभी रूठी मिलूं तुमसे …
मुझे तुमने गढ़ा है ..
शब्द-अर्थों के सधे स्वर में ।
कभी हम साथ होगें..
कल्पनाओं के सघन वन में…
कभी बेबाक यादें
जी रही होंगी तेरे घर में..
मुझे पुचकार लेना
गर कभी रूठी मिलूं तुमसे …
मुझे तुमने गढ़ा है ..
शब्द-अर्थों के सधे स्वर में ।