*प्रेम का सिखला रहा, मधु पाठ आज वसंत है(गीत)*
प्रेम का सिखला रहा, मधु पाठ आज वसंत है(गीत)
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प्रेम का सिखला रहा, मधु पाठ आज वसंत है
1)
जो मिले उसको हृदय से, अब लगाना सीखना
नेत्र में आत्मीयता भर, मित्रवत ही दीखना
आज अपनापन भरी, मन की उड़ान अनंत है
2)
जो मिली हमको सदी है, उस सदी को हम जिऍं
गंध फूलों की चुरा कर, पुष्प रस को फिर पिऍं
मुस्कुराती हर दिशा, विस्तृत अनूप दिगंत है
3)
कह रहा है मन प्रफुल्लित, आज गाना चाहिए
जो रहे रूठे अभी तक, वह मनाना चाहिए
पीत वस्त्रों को पहन, यह लग रहा मन संत है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा रामपुर, उत्तर प्रदेश मोबाइल 9997615451