Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jun 2023 · 1 min read

प्रेम का फिर कष्ट क्यों यह, पर्वतों सा लग रहा है||

प्रेम का फिर कष्ट क्यों यह, पर्वतों सा लग रहा है||
__________________________________________
देख दूजा ‌ गात कामुक, मन अगन जब जग रहा है|
प्रेम का फिर कष्ट क्यों यह, पर्वतों सा लग रहा है||

सभ्यता को छोड़ पीछे,
ताक पर सम्बन्ध रख कर|
बिन किये पड़ताल कोई,
बंध का अनुबंध रखकर|

है प्रणय पथ आज ऐसा, प्रेम ही नित ठग रहा है|
प्रेम का फिर कष्ट क्यों यह, पर्वतों सा लग रहा है||

है तरुण मन आज विलसित,
भोग की बस लालसा से|
वासना वेधित हृदय फिर,
क्यों व्यथित हैं दुर्दशा से|

जानकर परिणाम दुष्कर, क्यों भ्रमित निज पग रहा है|
प्रेम का फिर कष्ट क्यों यह, पर्वतों सा लग रहा है||

अन्तशय्या पर पड़ी अब,
शिष्टता हो लुप्त जैसे|
पश्चिमी वायु में बहकर,
भद्रता अब सुप्त जैसे|

सद्य अनुशीलन मनन का, दिग्भ्रमित निज मग रहा है|
प्रेम का फिर कष्ट क्यों यह, पर्वतों सा लग रहा है||

✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण बिहार

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 202 Views
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all

You may also like these posts

पिघलता चाँद ( 8 of 25 )
पिघलता चाँद ( 8 of 25 )
Kshma Urmila
मतदान
मतदान
Shutisha Rajput
गोरे तन पर गर्व न करियो (भजन)
गोरे तन पर गर्व न करियो (भजन)
Khaimsingh Saini
अपने पराए
अपने पराए
Shyam Sundar Subramanian
आज मैया के दर्शन करेंगे
आज मैया के दर्शन करेंगे
Neeraj Mishra " नीर "
कभी ना होना तू निराश, कभी ना होना तू उदास
कभी ना होना तू निराश, कभी ना होना तू उदास
gurudeenverma198
4520.*पूर्णिका*
4520.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
■हरियाणा■
■हरियाणा■
*प्रणय*
शहीद की अंतिम यात्रा
शहीद की अंतिम यात्रा
Nishant Kumar Mishra
जाम सिगरेट कश और बस - संदीप ठाकुर
जाम सिगरेट कश और बस - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
आप वही बोले जो आप बोलना चाहते है, क्योंकि लोग वही सुनेंगे जो
आप वही बोले जो आप बोलना चाहते है, क्योंकि लोग वही सुनेंगे जो
Ravikesh Jha
बच्चे
बच्चे
Kanchan Khanna
जुदा नहीं होना
जुदा नहीं होना
Dr fauzia Naseem shad
बहुत अंदर तक जला देती हैं वो शिकायतें,
बहुत अंदर तक जला देती हैं वो शिकायतें,
शेखर सिंह
" खुशबू "
Dr. Kishan tandon kranti
करो तुम कुछ काम ऐसा...
करो तुम कुछ काम ऐसा...
Shubham Pandey (S P)
दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
sushil sarna
*सपने कुछ देखो बड़े, मारो उच्च छलॉंग (कुंडलिया)*
*सपने कुछ देखो बड़े, मारो उच्च छलॉंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुझे मुहब्बत सिखाते जाते
मुझे मुहब्बत सिखाते जाते
Monika Arora
लोग कहते हैं कहने दो लोगो का क्या ?
लोग कहते हैं कहने दो लोगो का क्या ?
Abasaheb Sarjerao Mhaske
****गणेश पधारे****
****गणेश पधारे****
Kavita Chouhan
मेहनत
मेहनत
Dr. Pradeep Kumar Sharma
#शोभा धरतीमात की
#शोभा धरतीमात की
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
मणिपुर की वेदना
मणिपुर की वेदना
Khajan Singh Nain
सही सलामत आपकी, गली नही जब दाल
सही सलामत आपकी, गली नही जब दाल
RAMESH SHARMA
खरगोश
खरगोश
विजय कुमार नामदेव
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
काली रात
काली रात
Rambali Mishra
शब्दों की चुभन।
शब्दों की चुभन।
Abdul Raqueeb Nomani
वो जो मुझसे यूं रूठ गई है,
वो जो मुझसे यूं रूठ गई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...