प्रेम का प्यासा मन
पानी की
एक एक बूंद
महत्वपूर्ण बन जाती है
जब वह
हमें आसानी से न
मिल पाये
पानी का भंडार भी हो
और वह पीने योग्य न हो तो भी
एक प्यासा उसकी
उपलब्धता होने के बावजूद
प्यासा रह जाये
आसमान से पानी जब
बरसता है तो
धरती की प्यास बुझाता है
एक पपीहे की प्यास
बुझाता है
एक कुएं की प्यास
बुझाता है
एक सागर की प्यास
कहां बुझा पाता है
प्रेम पाने की लालसा लिए
एक तरसता प्यासा मन
प्रेम की तलाश में
दर दर भटके
कदम कदम पर
एक बरसते बादल से टकराये
पर न उसके नयनों से झरते
आंसू
न ही वह बरसता बादल
उसकी प्रेम पिपासा को
मिटा पाता है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001