प्रेम का नशा
प्रेम बन्धु बांधव नहीं
जिसका अवसान हो जाय
प्रेम कोई नदी तालाब नहीं जो सूख जाय
पानी विषाक्त हो जाय
प्रेम एक एहसास है
प्रेम एक नशा है
प्रेमी वो नशेड़ी होते है
जिनका नशा ही सांस के
बन्द होने से उतरता है
प्रेम का नशा
प्रातः के किरण से नहीं उतरा
प्रेम का नशा जीवन के अवसान में उतरता है…
~ सिद्धार्थ