प्रेम का ज्ञान
मानवजाति के लिए
प्रेम का अर्थ
न जाने क्या है
प्रेम की परिभाषा
न मालूम क्या है
प्रेम का ज्ञान है
बिल्कुल शून्य या
बहुत ही अल्प
प्रेम सिर्फ पाना चाहता है
करना किसी को नहीं चाहता
अपना भला चाहता है
बाकी सबका विनाश
मुंह से दुआयें देता है
मन के भीतर विष है भरा
अपने लिए जीना चाहता है
सारी सृष्टि का संहार करके।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001