प्रेम का अहसास
जब उसने कहा “जीवन में प्यार है तो सबकुछ है,
प्यार नहीं तो कुछ भी नहीं”
मुझे लगा – यह उसकी अपनी अनुभूती है ,इस बात का तार्किकता से कोई सरोकार नहीं।पर आज सोचती हूँ तो लगता है मेरी सहेली सच कहती थी।
प्रेम अनगढ़कृतियों में भी सौंदर्य भर देता है।फिर हम तो इंसान है ,इससे अछूते कैसे रह सकते है।
जब भी कोई मुझसे पूछता- “तुम्हें किसी से प्यार है?”
मैं जवाब देती…..मेरा प्यार । मेरा प्यार ऐसा होगा जिसे सारी दुनिया देखती रह जायेगी। हर तरह से परफेक्ट….जो सादगी से भरा होकर भी मोहक हो तथा युवा होते हुवे भी गंभीर हो।प्रतिभा की तरह उसका व्यक्तित्व भी आसाधारण होना चाहिये।
ऐसी चाह रखने वाली लड़की क्या किसी को एक झलक देखकर और बिना ठीक से जाने प्यार कर सकती है? जवाब होगा–बिल्कुल नहीं।
पर तेजी से गुजरती जिंदगी में अचानक ही कभी कुछ ऐसा घट जाता है कि लगता है मानो जिंदगी कुछ देर के लिए उन्हीं पलो में सिमट गयी हो।
प्यार करने का कोई उपाय नहीं और प्रेम न करने का कोई बहाना नहीं। अर्थात हमें कोई जबरदस्ती प्रेम नहीं करा सकता और यदि हमें वास्तव में किसी से प्रेम हो जाये तो कोई हमारा प्रेम बदल भी नहीं सकता है। ऐसा ही हुआ मेरे साथ भी।
मन की अतल गहराइयों में किसी के लिये इतना प्यार छुपा है ये बात तब जान पायी जब कोई जिंदगी से ज्यादा महत्वपूर्ण लगने लगा।इतनी व्यग्रता तो कभी किसी के लिये नहीं हुई। उनकी बातों ने जाने क्या जादू कर दिया है….पुरी शख्शियत पर जैसे छा गये हो। मुझे प्रभावित करने वाला कोई शानदार व्यक्तित्व ही होगा।
हरपल भगवान से यहीं प्रार्थना है कि इन्हें कभी कोई कष्ट छुवे भी न।उनके लिए कितने कोमल भाव आते है मन में…..पर व्यक्त नहीं कर पाती।बस अब यही दुआ है कि सर्वशक्तिमान सदैव उन्हें खुश रखें और उनकी जिंदगी में मेरी जगह हमेशा खास रहे (सबसे पवित्र रिश्ता)।
प्यार हमारा आत्मविश्वास बढ़ाता है हमें विनम्र बनाता है।
प्यार हमारी आत्मा में बसनेवाला पवित्र भाव है, जिसकी अभिव्यक्ति शब्दों में नहीं हो सकती है। क्योंकि यह एक अहसास है और अहसास बेजुबां होता है।।
प्यार की परिभाषा इतनी भी सरल नहीं जितना हम और आप समझते हैं।एक ऐसी ही प्रेम की अनकही भाषा –
मेरा चेहरा हाथ में ले जब कहते हो न..
कि चाँद हूँ मैं ..तो जी चाहता है कह दूँ
चाँद मैं नहीं तुम हों और..
और मैं तुम्हारी चाँदनी जो तुमसे ही रौशन है।
मुझे बाहों में ले जब कहते हो न ..
कि खुशनसीब हो तुम जो मुझे पाये हो..
तो जी चाहता है कह दूँ….
तुम्हें हर दुआओं में मैने माँगा हैं।
मेरी जुल्फें जब तुम्हारी कुरते की बटन में
उलझती है , और कहते हो न कि ….
बटन को भी तुमसे प्यार है….
तो जी चाहता है कह दूँ
जुल्फें खोलने की साजिश भी तो मैनें रची है।
ऐसी ही बहुत सी बातें है तुमसे कहने की
नन्हें नन्हें शब्दों में पिरोकर प्रेम के धरातल में बिखेरने की।
तुम्हारी बाँहो में आके लगता है लिपटी हूँ पशमीने में,
मेरे अस्तित्व की रमणीयता अब तुम्हारे साथ है जीने में।
मेरे सम्रग जीवन का सौंदर्य है तुमसे,
तुम्हें पाके लगा सबकुछ मिल गया रब से।।
– रंजना वर्मा