प्रेम
तुम कैसे इठलाती हो
आओ हृदय में
सोलह सिंगार में आओ
आओ एक दूजे में समां जाओ
आओ स्वप्न में
नीरस जीवन में रंग भरो
हर्षित करो तन मन और धन
आओ गृह में आओ
मिटा दो अँधियारा सारा
आओ मिल जानकी जन्म पर्व मनाओ
आओ तुम हे विश्व सुन्दरी आओ
दुःख में
सुख में
तुम साथ रहो हमेशा
पथ में पुष्प कमल फूल बिछाओ
आओ हे प्रितम
जीने की नव उमंग जगाओ
मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य