*प्रेम कविताएं*
जज़्बातों को कागज़ पर लिखना शुरू किया है
हां मैंने अब चुप रहना छोड़ दिया है
कलम को अपनी ज़ुबान बना दिया है
हां मैंने कविता लिखना शुरू किया है
कोई आशिक़ कहता है कोई टूटे दिल वाला
मैंने लोगों की परवाह करना छोड़ दिया है
मैं तो रहता हूं अपनी मस्ती में बेफिक्र होकर
जबसे मैंने कविता लिखना शुरू किया है
आसान नहीं है प्रेम कविताएं लिखना
कोई पूछे किसने तुम्हारा दिल तोड़ दिया है
इस उम्र में क्या हो गया है तुमको
क्या किसी और से दिल जोड़ लिया है
अभी तो चालीस के हो अभी से सठिया गए हो
किसने तुम्हारी ज़िंदगी का रुख़ मोड़ दिया है
हमसे कहो दिल की बात, हम बात करते हैं
क्या भाभी जी ने तुम्हारा दिल तोड़ दिया है
श्रीमती जी की भी अपनी शिकायतें है
उनका भी रिश्तेदारों ने जीना दूभर किया है
तभी वो रोकती है प्रेम कविता लिखने से
पहले तो उसने इसमें हमेशा मेरा साथ दिया है
जाने क्यों असहज लगता है पढ़ने में उन्हें
जो ख़ुद कभी न कभी उन्होंने किया है
कवि तो समझता है प्रेमी की भावनाएं
ज़रूरी नहीं उन भावनाओं को उसने जीया है
कुछ ऐसे भी हैं जो पीठ पीछे खिल्ली उड़ाते हैं
जैसे मैंने न जाने कौनसा पाप कर दिया है
सोचते हैं अनाड़ी मुझे, जैसे मैं कुछ जानता नहीं
मैंने तो उन सब दोगलों को पहचान लिया है