प्रेम करना इबादत है
ग़ज़ल
1222 1222 1222 1222
बहुत धनवान है वो पास जिसके प्रेम दौलत है
मिला उनको खुदा जिनके दिलों में कुछ मुहब्बत है
न मंदिर और जाओ मत कभी काबा या गुरुद्वारा
गिले- शिकवे भुला कर प्रेम करना ही इबादत है
लड़ी जाती मुहब्बत से लड़ाई जिंदगी की हर
कभी हारे नहीं जग जीत लें यह कहावत है ।
नहीं है वास्ता जिसको किसी उन्मादी मज़हब से
समझता धर्म मानव का यही सच्ची सक़ाफ़त है
जहाँ में रूप इंसा का मुहब्बत से हुआ ऊँचा
सुधा खिदमत करे दुखियों की वो जीवन सदाकत है
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
28/12/2022