प्रेम कब, कहाँ और कैसे ख़त्म हो जाता है!
प्रेम कब, कहाँ और कैसे ख़त्म हो जाता है!
– प्रेम को ले कर मैं दार्शनिक भाव नहीं रख सकती. प्रेम को ले मैं प्रैक्टिल रहना पसंद करती हूँ.
मुझे ये लॉजिक कि प्रेम है, सदा के लिए रहेगा बुलशिट जान पड़ता है. उस सूरत में जब आप किसी को ये कहते तो हो मगर आप जताने के लिए कुछ भी नहीं करते.
जो कहते हैं न वो आपके करने में दिखना चाहिए. प्रेम है तो एफ़र्ट्स भी लेने चाहिए.
“व्यस्त हूँ. काम बहुत है!”
तो फिर काम ही करिए. आप प्रेम नहीं करिएगा तो प्रलय नहीं आ जाएगा. वैसे भी प्रेम सबके लिए नहीं बना है. आप नाकाबिल हैं तो फिर मत कीजिए किसी के भावनाओं के साथ खिलवाड़.
कोई कब तक आपको समझाएगा या कब तक ख़ुद को मनाएगा. एक दिन वो लम्हा आ ही जाना है जब हार कर वो आपको विदा दे देगा. शिकायतों को दूर करने की कोशिश कीजिए बजाय बहाना बनाने के.
प्रेम में मॉनॉटोनस होने की कोई जगह नहीं है!