– प्रेम और बुद्धि में सामंजस्य बिठाओ –
प्रेम और बुद्धि में सामंजस्य बिठाओ –
प्रेम अगर होता अधिक तो,
बुद्धि मद्धम है हो जाती,
अगर होती अगर बुद्धि अधिक तो,
प्रेम मद्धम है पड़ जाता,
प्रेम और बुद्धि में तुम ऐसा सामंजस्य बैठाओ,
न किसी को ज्यादा रखो और ना ही किसी को मद्धम कर जाओ,
प्रेम अगर बुद्धि का तुम ऐसा संयोग बैठाओ,
प्रेम और बुद्धि में तुम दुनिया को जीत जाओ,
प्रेम करो तो ऐसा करो कि दुनिया में नाम अमर कर जाओ,
बुद्धि से तुम अपनी बुद्धिमानी का दुनिया में लौहा मनाओ,
प्रेम और बुद्धि में तुम ऐसा सामंजस्य बिठाओ,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184