प्रेम और प्रभु
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प्रेम और प्रभु
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प्रेम से नाम प्रभु का पुकारा करो ।
प्रेम नजरों से इनको निहारा करो ।।
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प्रेम के हैं ये प्यासे बुलाओ इन्हें ,
प्रेम से प्रेम का जल पिलाओ इन्हें ,
प्रेम से पग प्रभु के पखारा करो ।
प्रेम नजरों……………………….।।1।।
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प्रेम से प्रेम माखन खिलाओ इन्हें ,
प्रेम से भोग दधि का लगाओ इन्हें ,
प्रेम से राह इनकी बुहारा करो ।
प्रेम नजरों ……,,.,,…………..।।2।।
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प्रेम से टेरिये ये चले आयेंगे ,
प्रेम डोरी में हँसकर के बँध जायेंगें ,
प्रेम पाने को आँचल पसारा करो ।
प्रेम नजरों……………………….।।3।।
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प्रेम के पुष्प प्यारे हैं घनश्याम को .
प्रेम से पा सकोगे प्रभु राम को ,
प्रेम मन से न पल भी बिसारा करो ।
प्रेम नजरों …………………………।।4।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’ ,
मथुरा ।
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