प्रेम और घृणा दोनों ऐसे प्रेम और घृणा दोनों ऐसे बीज हैं, जो एक बार अंकुरित हो जाएँ तो फिर बड़ी मुश्किल से उखड़ते हैं। नीलम शर्मा ✍️