प्रेम-एक सत्य।
कहते सुना है लोगों को कि,
कोई प्रेम में पड़कर बर्बाद है,
प्रेम नहीं वो कोई भ्रम ही होगा,
कि प्रेम-मंत्र से तो दुनिया आबाद है,
हर विषय पर विवाद है जहान में,
बस प्रेम एक सत्य निर्विवाद है,
संक्षिप्त ही है हर विस्तार जिसका,
ये प्रेम एक मौन संवाद है,
सत्य हो प्रेम तो बन जाए दुआ,
कि मिट जाता हर अवसाद है,
लिप्त हो लालसा पाने की जिसमें,
फिर प्रेम नहीं वो विषाद है,
हर ज्ञान से परे है अनुभूति जिसकी,
ये प्रेम एक संपूर्ण यथार्थ है।
कवि-अम्बर श्रीवास्तव।