प्रेम एक गुप्तरोग है
प्रेम या लव
एक ‘गुप्तरोग’ है,
जो अपने आप
लग जाती है !
जिसे
बताया नहीं जाता,
किन्तु लोग इसे
जान ही लेते हैं !
इश्क़ का रंग है लाल,
किन्तु वो थे पीले !
इश्क़ और वे मिलकर
मुझ पर हुए
लाल-पीले !
प्रेम या लव
एक ‘गुप्तरोग’ है,
जो अपने आप
लग जाती है !
जिसे
बताया नहीं जाता,
किन्तु लोग इसे
जान ही लेते हैं !
इश्क़ का रंग है लाल,
किन्तु वो थे पीले !
इश्क़ और वे मिलकर
मुझ पर हुए
लाल-पीले !