प्रेम आनंद की हो होली
प्रेम आनंद की हो होली
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मतवाला बावला सा पड़ा हूँ,
होलीे के रंग में खूब सना हूँ।
मेरे ऊपर इतने बिखेरे है रंग,
हो गया हूँ काला पिला भूतंग।
साल में एक बार आये ये त्योहार,
बुरा न मानो होली खेलो हर बार।
आओ तुझे रंगीन रंग में रंगा दु,
लाल काला पीला गाल में सजा दु।
जीवन में न हो ग़म की झोली,
ऐसे ही प्रेम आनंद की हो होली।
बिखेरे जीवन में खुशियों के रंग ,
मिलकर हो जाये सभी एकसंग।
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रचनाकार – डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822