प्रेम अगर बलिदान ना होता
प्रेम हवस नहीं बलिदान होता है,
अगर ऐसा ना होता तो,
कृष्ण राधा का होकर भी,
रुक्मणि का ना होता,
प्रेम अगर बलिदान ना होता, तो
सीता फिर से वन ना जा पाती,
राम सहन नहीं कर पाते उनके वियोग को,
अगर प्रेम बलिदान ना होता तो,
अपने प्रिय के धोखे को जान कर भी,
वह प्रेमी चुप क्यों रहता,
प्रेम अगर बलिदान ना होता तो,
इतना घातक होकर भी,
मशहूर इतना ना होता,
प्रेम अगर बलिदान ना होता तो,
नदियां छोड़ अपने सुखी संसार को,
सागर से मिलने को नहीं तड़पती,
प्रेम अगर बलिदान ना होता तो,
शहीद ना होते सेना,
अपनी मां के आंचल यू हीं,
प्रेम अगर बलिदान ना होता तो,
भक्त अपने भगवान के लिए,
इतने आंसुओं ना बहाता